Anushthan & Nivaran
Anushthan & Nivaran

Kaal Sarp Dosh
काल सर्प दोषसामान्यतः जन्म कुंडली के बाकी सात ग्रह राहु और केतु के मध्य स्थित हो जाते हैं तो उस स्थिति को "कालसर्पयोग" कहते हैं।

Mangal Dosh
मंगल दोष पूजनमंगल ग्रह यदि जन्मकुंडली के लग्न, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में हो तो कुंडली को मांगलिक माना जाता है|

Pitra Dosh
पितृ दोषपितृ दोष पूजन निवारण और इस पूजन से क्या क्या फल यजमान को प्राप्त होता है मुख्यपितृदोष तीन प्रकार का होता है|

Rudrabhishek
रुद्राभिषेकहिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शिव का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण होती हैं।

Mahamrityunjay Jaap
महामृत्युंजय जापमहामृत्युंजय मंत्र का जाप क्यों किया जाता है शास्त्रों और पुराणों में असाध्य रोगों से मुक्ति और अकाल मृत्यु से बचने के .. |

Navgrah Jaap
नवग्रह जाप“ॐ ब्रह्मामुरारि त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमिसुतो बुध च। गुरु च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वेग्रहा: शान्ति करा: भवन्तु।।”

Ark/Kumbh Vivah
अर्क/कुंभ विवाहयदि लड़के अथवा लड़की की कुंडली में सप्तम भाव अथवा बारहवां भाव क्रूर ग्रहों से पीडि़त हो अथवा शुक्र, सूर्य, सप्तमेष अथवा द्वादशेष, शनि से आक्रांत हों।

Durga Saptasati Path
दुर्गा सप्तशती पाठविषेश रूप से किया जाने वाला कर्म दुर्गा सप्तशती पाठ के द्वारा कुल देवी की प्रसन्नता एवं सभी प्रकार से अमंगल को

Baglamukhi Anushthan
बगलामुखी अनुष्ठानमां राज राजेश्वरी बगलामुखी पूजन के द्वारा सभी शत्रु पर विजय एवं काम क्रोध आदि पर नियंत्रण ..

Narayana Nagavali
नारायण नागवली पूजानारायण नागवली पूजा एक विशेष कर्मकांड है जो पितरों के दोष और पितृदोष से मुक्ति के लिए की जाती है।

Rin Mukti Puja
ऋण मुक्ति पूजाऋण मुक्ति पूजा एक हिंदू धार्मिक प्रथा है जिसमें ऋण बंधन से मुक्ति प्राप्त करने के लिए पूजा की जाती है।

Chandal Dosh
चांडाल दोषबृहस्पति और राहु जब साथ होते हैं या फिर एक दूसरे को किन्ही भी भावो में बैठ कर देखते हो, तो गुरू चाण्डाल योग निर्माण होता है।

Santan Gopal Anushthan
संतान गोपाल अनुष्ठानभगवान बाल कृष्णा स्वरूप संतान प्राप्ति के लिए विशेष संतान गोपाल अनुष्ठान कर्म संपादित किया जाता है |



Vish Dosh
विष दोषवैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में बनने वाले योग और दोष व्यक्ति के जीवन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं |

Astrologer
ज्योतिषज्योतिषां सूर्यादिग्रहाणां बोधकं शास्त्रम् अर्थात सूर्यादि ग्रह और काल का बोध कराने वाले शास्त्र को ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है।

Murti Pranpratishthah
मूर्ति प्राणप्रतिष्ठासनातन धर्म में प्राण प्रतिष्ठा का बहुत ज्यादा महत्व है. मूर्ति स्थापना के समय प्राण प्रतिष्ठा जरूर किया जाता है|